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ए क चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके ll Read more
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है हँसती आँखों में भी नमी-सी है दिन भी चुप चाप सर झुकाये था रात की नब्ज़ भी थमी-सी है किसको समझायें किसकी बात नहीं ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई गर्द इन पलकों पे जमी-सी है कह गए हम ये किससे दिल की बात शहर में एक सनसनी-सी है हसरतें राख हो गईं लेकिन आग अब भी कहीं दबी-सी है - जावेद अख्तर Read more
वो जो हाथ तक से छुने को, बे-अदबी समझता था, गले से लगकर बहोत रोया, बिछडने से जरा पहले...... Read more
लिपट कर हर एक ईट से रो दिए हमने, पुरानी हवेली गिराने से पहले!! Read more
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते हैं हाथों से वो लोग....  जिन्हें हम ज़िंदगी समझ कर कभी खोना नहीं चाहते............!! Read more
कुछ नहीं कहते, ना रोते हैं....  दुःख पिता की तरह होते हैं.... Read more
ज़िन्दगी है सो गुज़र रही है वरना  हमें गुज़रे तो ज़माने हुए Read more
उसका किरदार परख लेना यकीन से पहले, मेरे बारे में जो तुमसे बुरा कहता होगा.... Read more
जिस नगर भी जाएँ किस्से हैं कमबख्त दिल के,  कोई ले के रो रहा है, कोई दे के रो रहा है... Read more
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है , मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है.. Read more
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है.. Read more
मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे,  मेरे भाई मेरे हिस्से की जमीन तू रख ले... Read more
तेरी यादें भी हैं मेरे बचपन के खिलौने जैसी, तन्हा होते हैं तो इन्हें ले कर बैठ जाते हैं... Read more
छूट पर लिया था जो सामान वो दूकान पर ही छूट गया, बचाने आया था जो शख्स कल मुझे, आज वही लूट गया. मैं तो समझ नहीं पाता हूँ दुनिया की बहुत सी बातें अब भी, लोगों की उम्मीदों पर खरा न उतरा, मुझसे हर कोई रूठ गया. रात के अँधेरे से नहीं, दिन के उजाले से डरता हूँ मैं सच में, शराफत की दुहाई देने वालों के कारण ही मेरा दिल टूट गया. बेवज़ह दौड़ने या उड़ने में रखा क्या है ? कोई बतलायेगा ? वो आधार जिस पर टिका था मेरा वजूद, हाथ से छूट गया. हल्की-फुल्की बातें करने लगे हैं समाज को रास्ता दिखाने वाले, आदर्श मानते … Read more
लगता है कई रात का जागा है मुसव्विर* , तस्वीर से आँखों की थकन झाँक रही है ।।  - चित्रकार Read more
जिसको दिल से निकाल फेका है ...  उसने फिर मुझपे जाल फेका है ...  - Sajlat Rahat Read more
मीट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर.. आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गयी.. Read more