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जो घर में है वो तो नसीब है लेकिन जो खो गया है उसको भी मकान में रखना सवाल तो मेहनत से ही हल होते हैं नसीब को भी तुम इम्तिहान में रखना - निदा फाजली
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बेशक बहुत नाज़ है अपनों के रिश्तों पर, उनकी चाहत पर एक दिन मेरी मौत पर आ कर सब कहेंगे -- कितनी देर और है ले जाने में
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अनमोल शब्द 1) रिश्तों की असल खूबसूरती एक दूसरे की बात बर्दाश करने में है २) बे-ऐब इंसान को तलाश मत करो वरना अकेले रह जाओगे ३) जब किसी काम का इरादा करो तो उसका अंजाम सोच लो, अगर अंजाम अच्छा हो तो कर लो, और अगर अंजाम बुरा हो तो उस से रुक जाओ ४) किसी से नाराजगी का वक़्त इतना तवील न रखो के वो तुम्हारे बगैर ही जीना सीख जाए ५) गुनाह में लज़्ज़त होती है, सुकून नहीं ६) बात अलफ़ाज़ की नहीं लहजे की होती है, किसी के बारे में बुरा मत सोचो, हो सकता है वो खुदा की नज़र में तुम से बेहतर हो ७) कोई गुन…
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ज़रा उदास भी हूँ, लेकिन मसरूर भी हूँ उसके पास हूँ, शायद दूर भी हूँ यूँ पथरीले रास्ते पे चलना शौक नहीं मेरा कुछ मामला चाहत का है, कुछ मजबूर भी हूँ मोहब्बत हो गयी उस से, बस यही खता रही मेरी माना के मुजरिम हूं, मगर बेकसूर भी हूँ
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ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ मुझे तुम से मोहब्बत है बताना भूल जाता हूँ तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है मैं रास्ता याद रखता हूँ, ठिकाना भूल जाता हूँ बस इतनी बात पर मैं लोगों को अच्छा नहीं लगता मैं नेकी कर तो देता हूँ, जताना भूल जाता हूँ शरारत ले के आखों में वो तेरा देखना तौबा मैं नज़रों पे जमी नज़रें झुकाना भूल जाता हूँ मोहब्बत कब हुई कैसे हुई सब याद है मुझको मैं कर के मोहब्बत को भुलाना भूल जाता हूँ
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ये वर्क वर्क तेरी दास्तां, ये सबक सबक तेरे तज़किरे मैं करूँ तो कैसे करूँ अलग, तुझे ज़िन्दगी की किताब से
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न गले मिला न गिला किया न ही प्यार की कोई बात की...मैँ ये बात कैसे मान लूं के जो गुजर गई वो ईद थी??
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वो अपना जिस्म सारा सौप देना मेरी आखो को मेरी पद्खने की कोशिश आपका अख़बार हो जाना Munavvar Rana
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