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दो तरह से देखने में इंसान छोटे नज़र आते हैं. एक दूर से और एक गरुर से।। Read more
ये कोई गुजरे ज़माने की बीमारी रही होगी.... ज़िसका नाम बिगड़ कर 'मुहब्बत' हो गया | Read more
रात भर, रात को, इक रात जगाया जाए... आखिर इसको पता तो चले कि हम पे क्या गुज़रती है !!! Read more
उसको अपना बनाने की जिद में.., सारे अपनों को गँवा बैठा हूँ..!! Read more
आज उसने तिरंगा फहराने की ठानी है.. भले ही रोज करता रहा वो बेईमानी है.. Read more
गमों में डूबे तो फिर जगमगा के निकले हैं ... यहाँ डूबे थे ... बड़ी दूर जा के निकले हैं .... तेरी बाहों में बड़े प्यार से आये थे मगर .. तेरे पंजो से बहुत छटपटा के निकले हैं ... तूने भी दिल को दुखने की इन्तहा कर दी... हम भी महफ़िल से मगर मुस्कुरा के निकले हैं .. कई लोगो से मेरी नौकरी की बात हुई ... बहुत से काम तो हाथो में आ के निकले हैं ... मेरे ही ज़ब्त ने बेचैन किया है तुझको .. ये तेरे आंसू मुझे आजमा के निकले हैं ... बड़े तैराक हैं ये मैंने खुद भी देखा है ... यहाँ कूदे थे .. बहुत दूर जा के निकले … Read more
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे  हम आंसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे  हमीं ने कर दिया एलान-ए-गुमराही वरना  हमारे पीछे बहुत लोग आने वाले थे  इन्हें तो ख़ाक में मिलना ही था, कि मेरे थे  ये अश्क कौन से ऊंचे घराने वाले थे  उन्हें करीब न होने दिया कभी मैंने  जो दोस्ती में हदें भूल जाने वाले थे मैं जिनको जान के पहचान भी नहीं सकता कुछ ऐसे लोग, मेरा घर जलाने वाले थे हमारा अलमिया ये था, की हमसफ़र भी हमें वही मिले, जो बहुत याद आने वाले थे [अलमिया=विडम्बना] "वसीम" कैसी ताल्लुक की राह थी जिसमें वह… Read more
बहुत दिनों बाद पायी फुर्सत, तो मैने खुद को पलट के देखा , मगर मै पहचानता था जिस को, वो शक्स अब कहीं नहीं है . Read more
क्यो तुमने लिखा ,अपनी हथेली पे मेरा नाम.. मैं हर्फ़ ग़लत हू, तो मिटा क्यो नही देते.. Read more