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रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए दर्द फूलों की तरह महके अगर तू आए Read more
वो ग़ज़ल पढने में लगता भी ग़ज़ल जैसा था, सिर्फ़ ग़ज़लें नहीं, लहजा भी ग़ज़ल जैसा था ! वक़्त ने चेहरे को बख़्शी हैं ख़राशें वरना, कुछ दिनों पहले ये चेहरा भी ग़ज़ल जैसा था ! तुमसे बिछडा तो पसन्द आ गयी बेतरतीबी, इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था ! कोई मौसम भी बिछड कर हमें अच्छा ना लगा, वैसे पानी का बरसना भी ग़ज़ल जैसा था ! नीम का पेड था, बरसात भी और झूला था, गांव में गुज़रा ज़माना भी ग़ज़ल जैसा था ! वो भी क्या दिन थे तेरे पांव की आहट सुन कर, दिल का सीने में धडकना भी ग़ज़ल जैसा था ! इक ग़ज़ल देखती रहती थी दरीचे से मुझ… Read more
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए। Read more
परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता Read more
पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी, आंखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते। Read more
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला Read more
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था, फिर उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला। Read more